शनि के प्रभाव से बचने के अचूक उपाय :=
1. सतयुग में मनुष्य की आयु एक लाख वर्ष होती थी जिसमे बाल्य काल दस हज़ार वर्ष का होता था ।
2. त्रेता में मनुष्य की आयु दस हज़ार वर्ष होती थी और बाल्य काल एक हज़ार वर्ष होता था ।
3. द्धापर में मनुष्य की आयु एक हज़ार वर्ष होती थी और बाल्य काल सौ वर्ष होता था ।
4. कलयुग
में मनुष्य की आयु
सौ
वर्ष
बाल्य
काल
दस
वर्ष
होता
है
।
v
परन्तु शाश्त्र में यह
भी
है
की
कलयुग
में
एक
आदमी
की
उम्र
एक
सौ
बीस
वर्ष,
क्योंकि
मनुष्य
की
विश्मोत्तरी
दशा
की
गड़ना एक सौ बीस
वर्ष
से
ही
की
जाती
है
।
और
कुंडली
भी
एक
सौ
बीस
वर्ष
की
गड़ना
से
बनाई
जाती
है।
Ø
मनुष्य के जीवन
काल
में
शनि
चार
बार
प्रवेश
करता
है
यदि
मनुष्य
सौ
वर्ष
जीवित
रहता
है
तो
नहीं
तो
तीन
बार
शनि
का
प्रवेश
निश्चित
है।
मनुष्य
को
शनि
से
कभी
घबराना
नहीं
चाहिए
चूंकि
शनि
जब
मनुष्य
की
राशि
में
प्रवेश
करता
है
तो
मनुष्य
के
उस
समय
तक
किये
गए
कार्यों
का
लेखा
जोखा
करता
है
की
आपने
अब
तक
कितना
अच्छा
और
कितना
ख़राब
काम
किया
है
अच्छे
काम
में
अच्छा
दंड
और
ख़राब
काम
में
बुरा
दंड
प्रदान
करते
है।
इसलिए
मनुष्य
को
कलयुग
में
बुरे
कार्यों
से
बचना
चाहिए।
शनि
चाहे
अच्छा
हो
या
ख़राब
मनुष्य
को
भगवान
की
पूजा
नित्य
करनी
चाहिए,
जैसा
समय
हो,
शनि
की
पूजा
के
लिए
कोई
ज्यादा
आडम्बर
करने
की
आवश्यकता
नहीं
है
नीचे
दिए
गए
नियमो
का
पालन
करे
और
नित्य
पूजा
में
लग
जाएँ।
और
पाएं
शनि
का
आशीर्वाद
।
शनि
की
उपासना
के
लिए
मनुष्य
को
सुबह
स्नान
करके
जल
फूल
अक्षत
के
साथ
प्रतिदिन
पीपल
के
पेड़
पर
जल
अर्पित
करे,
शाम
के
समय
जब
सूर्य
अस्त
हो
जाये
सरसो
के
तेल
का
दीपक
सिर्फ
शनिवार
को
जलाएं
और
अदरक
का
भोग
लगाएं।
और
शनिवार
को
सिर्फ
उरद
के
दाल
के
साथ
भोजन
करें।
चूंकि
उरद
शनि
भगवान
को
अधिक
पसंद
है।
शनिवार
के
दिन
मांस
मदिरा
का
सेवन
पूर्णतयः
वर्जित
है।
·
हाँ एक बात
यह
भी
कहना
चाहता
हूँ
क़ि
अगर
मनुष्य
को
समय
नहीं
है
तो
यह
काम
पत्नी
को
करना
चाहिए
उससे
पति
और
बेटे
को
भी
तत्काल लाभ मिलेगा।
v
एक परोपकार करना चाहिए ।
v
दूसरा किसी भी
व्यक्ति
को
परेशान
नहीं
करना
चाहिए
सिर्फ
इन
दो
बातों
का
ध्यान
रखे
, प्रतिदिन
पीपल
के
पेड़
में
जल
अर्पित
करें
और
जिए
खुशहाल
जीवन
और
पाए
शनि
देव
कि
पूरी
महान
कृपा
।
पंडित टी0 पी0 त्रिपाठी
मोबाइल नंबर - 9721391805
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