Monday, June 11, 2018

मनुष्य के जीवन पर रत्नो का प्रभाव और होने वाले चमत्कार



 मनुष्य के जीवन पर रत्नो का प्रभाव और होने वाले चमत्कार

मनुष्य जीवन काल से ही तमाम परिस्थितियों का शिकार होता है कभी अमीरी तो कभी गरीबी और यह सब ग्रह चाल यानि ग्रहों की अनिष्टता।  कभी गुरु दोष तो कभी शनि, राहु, मंगल आदि इन सब ग्रहों की कुदृष्टि से बचने के लिए ज्योतिष शास्त्र में इनके तमाम उपाय बताये गए हैं ।इन तमाम परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए इस ब्रम्हांड  से प्राप्त रत्नो को धारण करने से कुछ जरूर निदान मिल जाता है इससे मन की शांति तो होती ही है परन्तु कुछ हद तक अनिष्ट ग्रहों का प्रभाव भी कम हो जाता है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश मंडल को १२ राशियों बांटा गया है जिनके स्वामी नवग्रह हैं , ये नवग्रह सूर्य ,चंद्र , मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र , शनि, राहु और केतु हैं, इन्ही नवग्रह से सम्बंधित नवग्रह निर्धारित किये गए हैं एवं ज्योतिष शास्त्र में अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए रत्न धारण करने से ग्रहो की अनिष्टता का निवारण एवं जीवन  पर तात्कालिक चमत्कारिक प्रभाव पड़ता है  :-

.     हीरा :- जिस राशि का स्वामी शुक्र हो उसे हीरा धारण करना चाहिए चूंकि यह शुक्र ग्रह का रत्न है यह सफ़ेद वासंती पीला , रंगहीन, नीला पारदर्शक रूप में होता है।   हीरे में सात रंग यानि इन्द्र धनुष में भी सात रंग दिखाई देता है हीरा साफ सुथरा और चमकदार होना चाहिए ।लाल काला चमक रहित हीरा कभी धारण नहीं करना चाहिए शुक्रवार के दिन सोने की अंगूठी में शुक्र मंत्र से अभिमंत्रित करके कम से कम रत्ती का हीरा धारण करना अत्यंत लाभप्रद होगा यदि परिस्थिति वश हीरा ले पाएं तो शुक्र ग्रह के लिए उप रत्न  सफ़ेद पुखराज , स्फटिक या जरकन धारण करना लाभ प्रद होगा

.     पन्ना :-  जिस राशि का स्वामी बुध हो उस राशि वाले व्यक्ति को पन्ना धारण करना चाहिए असली पन्ने का रंग हरा एवं मयूर के पंख के सामान होता है, पन्ने को आँख की पलक पर रखने पर यह बिल्कुल शीतल मालूम पड़ता है।  किसी भी प्रकार से अशुद्ध पन्ना जैसे टूटा , खुरदरा, एवं  धब्बा युक्त  पन्ना नहीं धारण करना चाहिए सोने या चांदी  की अंगूठी में बुधवार के दिन शुभ मुहूर्त में मंत्र से अभिमंत्रित कम से कम से रत्ती का पन्ना धारण करना अत्यंत लाभदायी होता है

.     मोती :-  मोती एक ऐसा रत्न है जो की प्रायः सभी राशियों वाले इसको धारण कर सकते हैं यह चन्द्रमा का रत्न है, इसका रंग श्वेत , चिकना एवं चमकदार होता है इसकी पहचान चौबीस घंटे गोमूत्र में डालने पर इस के रंग में कोई भी फर्क नहीं पड़ता है ही इसकी चमक फीकी पड़ती  है। टूटे , दरार युक्त,  धब्बा युक्त एवं चिटका मोती कभी भी धारण नहीं करना चाहिए इससे हानि होने की काफी संभावना रहती है चांदी की अंगूठी में सोमवार के दिन चन्द्रमा के मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर लगभग पांच से सात रत्ती का मोती विधि विधान से धारण करना चाहिए इस रत्न से मनुष्य को गुस्सा कम आता है और शांत स्वाभाव बना रहता है

4.     माणिक्य :-  माणिक्य रत्न सिन्दूरी लाल रंग का होता है , यह सूर्य ग्रह का रत्न है आंख की पलक पर रखने से शीतलता का अनुभव होता है और कमल  के पुष्प की कली पर रख देने से कली खिल जाती है। रत्न को ठीक से देखकर धब्बायुक्त , चिटका एवं टूटा फूटा रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए ऐसा करने से हानि ही हानि मिलती है लाभ नहीं मिलता है माणिक्य रत्न को सोने की अंगूठी में सूर्य के मंत्र से अभिमंत्रित रविवार को शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए याद रहे  माणिक्य का वज़न  लगभग तीन से पांच रत्ती का होना चाहिए   

.     मूंगा :- जिन व्यक्तियों  के राशि का स्वामी मंगल हो उस व्यक्ति को मूंगा धारण करना चाहिए मूंगे का रंग लाल , गेरुआ या सिन्दूरी रंग का होता है , गाय के दूध में मूंगे को डालने पर दूध में लाल रंग की छाई दिखाई देती है। टूटा फूटा , धब्बा युक्त , पतला या मूंगे में  यदि सफ़ेद दाग हो तो ऐसे मूंगे को कभी भी धारण नहीं करना चाहिए ऐसा करने से अनिष्ट होने की सम्भावना  रहती है मंगलवार के दिन शुभ मुहूर्त में सोने या चांदी की अंगूठी में लगभग छः से आठ रत्ती का मूंगा धारण करना अति लाभदायी  है

.     पुखराज :-  वृहस्पति ग्रह का रत्न पुखराज है जिन राशियों के स्वामी गुरु हों उस व्यक्ति को पुखराज धारण करना चाहिए , असली पुखराज हल्दी के रंग या सोने के रंग के सामान होता है पुखराज को एक हफ्ते पानी में डालकर  रखने से चमक में कोई भी फर्क नहीं पड़ता।  नकली पुखराज का  रंग बदल जाता है, लाल रंग, खुरदरा , दोरंगा , श्वेतबिंदु और काले धब्बे वाले  पुखराज को कभी भी धारण नहीं करना चाहिए पुखराज को सोने की अंगूठी में ही बनवाकर वृहस्पति के मंत्र द्वारा अभिमंत्रित कर, वृहस्पतिवार के दिन पुष्य नक्षत्र में धारण करना चाहिए।

.     नीलम :- शनि ग्रह का रत्न नीलम नीला , चमकीला , चिकना एवं पारदर्शी  शनि ग्रह का रत्न है,  गाय के दूध में नीलम को  डालने पर दूध नीला दिखाई देता है नीलम में तो दाग, धब्बा  और दुरंगा नहीं होना चाहिए नीलम धारण करने के लिए चांदी, पंचधातु या लोहे की अंगूठी में शनिवार के दिन , शनि मंत्र से अभिमंत्रित कर पांच से सात रत्ती का नीलम धारण करना चाहिए

.     गोमेद :- गो मूत्र के सामान पीला राहु ग्रह का अनुकूल रत्न गोमेदक चमकदार , सुन्दर चिकना होता है, गो मूत्र में चौबीस घंटे रखने से मूत्र का रंग बदल जाता है ख़राब गोमेद कभी भी नहीं धारण करना चाहिए, चांदी की अंगूठी में कम से कम आठ रत्ती का गोमेद बनवाकर शनिवार या बुधवार के दिन धारण करें। राहु के मंत्र से अभिमंत्रित कर धारण  नहीं करना चाहिए। पूजा स्नानादि से निवृत्त होकर स्वयं इस रत्न को धारण कर लेना ही उत्तम होगा   

.     लहसुनिया:-  kला पीला सूखे पत्ते जैसा रत्न केतु ग्रह शांति के लिए प्रयोग में लाया जाता है , अँधेरे में रख देने से इसमें विशेष चमक होती है , यदि लहसुनिया को चौबीस घंटे हड्डी पर रख दिया जाय तो आर पार छेद हो जायेगा असली लहसुनिया की यही पहचान है कम से कम पांच रत्ती लहसुनिया को चांदी, लोहा या पंचधातु में बनवाकर शनिवार या  बुधवॉर के दिन  केतु मंत्र से अभिमंत्रित कर धारण करना चाहिए
                                           
       उपरोक्त बताये गए रत्नो को अपनी राशि और ग्रह के अनुसार धारण करें और प्राप्त करें जीवन में होने वाले चमत्कार बनाये अपना अपने परिवार का जीवन खुशहाल और जियें निरोग निष्कंटक शांति पूर्ण जीवन। हमारे इस पौराणिक ब्लॉग को पढ़ते रहें और बनाये अपना अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल।

टी पी० त्रिपाठी
मोबाइल नंबर  = 9721391805         
       

No comments:

Post a Comment