धन प्राप्ति के लिए कैसे करें धन कुबेर की उपासना
देवताओं के कोषाध्यक्ष के रूप में विख्यात यक्षाधिपति गन्धर्व और किन्नरों के स्वामी कहे जाने वाले ऋषि विश्रवा के द्वारा उत्पन्न रावण के भाई और भगवान शिव के परम प्रिय, अलकापुरी के राजा एवं समस्त ब्रम्हाण्डों के धनपति कुबेर की आराधना गुप्त धन प्राप्ति एवं ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए अत्यंत फलदायी है ।
वराह पुराण के अनुसार विष्णु भगवान के आदेश से ब्रह्मा जी के मन में जब सृष्टि रचना की इच्छा जागृत हुई तब उनके मुख से वायु निकला और वायु बड़े वेग से पृथ्वी पर भ्रमण करने लगा जिससे चारों ओर पूरे ब्रह्माण्ड में धूल ही धूल छा गयी और सभी संकट में आ गये फिर ब्रह्मा जी ने वायु को शरीर धारण करने के लिए और शांत रहने के लिए कहा ब्रह्मा जी की आज्ञा मानकर वायु शरीर रूप धारण कर कुबेर के रूप में ब्रह्मा जी के समक्ष उपस्थित हुए और ब्रह्मा जी ने आदेशित किया की सम्पूर्ण देवी देवताओं के पास जो धन है उसकी आप रक्षा करो , इसी कार्य से तुम संसार में धनाधिपति के नाम से जाने जाओगे और ब्रह्मा जी ने कुबेर को एकादशी तिथि का अधिष्ठाता बना दिया । वराह पुराण के उल्लेख अनुसार जो भी व्यक्ति बिना अग्नि से पकाये स्वयं पके फल का आहार करता हैं और अन्न का त्याग कर व्रत करता है कुबेर अत्यंत प्रसन्न होते है और उनकी कृपा से जाचक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
राज्यश्री
के
रूप
में
साक्षात्
महालक्ष्मी
जी
नित्य
कुबेर
की
सभा
में
विराजित
होती
हैं। अभीष्ट सिद्धि, वैभव प्राप्ति, संपत्ति
चाहने
वाले
, दरिद्रता
एवं
ऋण
से
मुक्ति
की
इच्छा
रखने
वाले
को
धन
कुबेर
की
पूजा
धन
त्रयोदशी
के
दिन
या दिवाली के दिन
सविधि
करनी
चाहिए
।
कुबेर की कृपा पाने के लिये धनत्रयोदशी और
दीपावली की रात्रि में लक्ष्मी पूजन के समय कुबेर की भी सविधि पूजा करनी चाहिए ।
हाँ पूजा आडम्बर रहित एवं तन और मन से करनी चाहिए ।
कुबेर और लक्ष्मी की पूजा में किसी भी धन की आवश्यकता नहीं होती है चूँकि कुबेर और लक्ष्मी की पूजा में
जाचक स्वयं धन और ऐश्वर्य प्राप्ति के लिए पूजा कर रहा होता
है ।
जाचक निम्न
मंत्र
से
कुबेर
और
लक्ष्मी
की
पूजा
करे
और
और
पाए
मनचाहा
फल
:-
अस्य श्री कुबेर मंत्रस्य विश्रवा
ऋषिः वृहतीच्छन्दः शिवमित्रं
धनैश्वरो देवता ममाभीष्ट
सिध्यर्थे जपे विनियोगः
उपरोक्त मंत्र
का
जाप पवित्र तन और
मन
से
करें
और
पाए
माँ
लक्ष्मी
और
धन
कुबेर
का
आशीष
, और बनी रहे घर
परिवार
में
सुख
शांति,
होती
रहे धन वर्षा और प्राप्त हो
ऐश्वर्य
।
याद रहे किस किस मालाओं से किन किन देवी देवताओं का जाप करना चाहिए :-
बता
दें
माला
सात
प्रकार
की
होती
है
अलग
अलग
मालाओं
से
अलग
अलग
देवी
देवताओं
का
जाप
करना
चाहिए
जिससे
वे
प्रसन्न
होते
हैं
और
देते हैं मन चाहा बरदान ।
१. रुद्राक्ष की माला :- रुद्राक्ष की माला
से श्री दुर्गा जी , श्री शिव
जी
, श्री
गणेश
जी
, श्री
गायत्री
, कार्तिकेय
जी
और
माँ
पार्वती
जी
का
जाप
करना
चाहिए ।
२. तुलसी की माला :- श्री
राम
, श्री
कृष्ण
जी
, श्री नृसिंह
, सूर्य
नारायण
जी
और
वामन
महराज
जी
।
३. स्फटिक माला :- श्री दुर्गा जी
, श्री
सरस्वती
जी
और
श्री
गणेश
जी
।
४. सफ़ेद चन्दन की माला :- इस
माला
से
सभी
देवी
देवताओं
का
जाप
कर
सकते
हैं
।
५. लाल चन्दन की माला :- केवल
दुर्गा
जी
के
जाप
के लिए ही उपयोग
में
लाया
जाता
है
।
६. हल्दी की माला :- श्री
बगला
मुखी
जी
के
लिए
केवल
।
७. कमलगट्टे की माला :- कमलगट्टे
की
माला
श्री
लक्ष्मी
जी
के
लिए
।
उपरोक्त विधि विधान के अमल में लाये और पाए धन कुबेर का आशीर्वाद और माँ लक्ष्मी जी की महान कृपा ।
कलयुग में तमाम आपदाओं से मुक्ति पाने के लिए उपरोक्त पर मन लगाए जप तप और जाप करें, श्री हरि कल्याण करेंगे ।
हमारे पौराणिक ब्लॉग को पढ़ते रहे और बनाये अपना, अपने परिवार का भविष्य उज्जवल ।
टी ० पी० त्रिपाठी
मोबाइल नंबर = 9721391805
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