Friday, June 15, 2018

कथा एक युग की : " कलयुग" वृतांत




कथा एक युग की  : " कलयुग" वृतांत





       द्वापर युग के प्लवन के बाद कलयुग का आगमन हुआ कलयुग का शुरूआती दौर द्वापर युग ही जैसा था परन्तु जब बचपन से जवानी में कलयुग का जैसे ही  प्रवेश हुआ  तो अपना प्रभाव दुनिया के सामने पूरी तरह दिखाई देने लगा है बड़ा प्राणी छोटे प्राणी को कैसे निगल रहा है, व्यवस्थाएं कैसे चरमरा रही हैं, लोगो में बाद विवाद, अपना भूल सब पराई  चीज को पाने में दौड़ रहा है  यह पूरी दुनिया में दिखाई दे रहा है, लोगों में त्याग और तपस्या दोनों लुप्त हो रही है, आडम्बर बढ़ रहा है, राजा प्रजा के हित के बजाय अपने ही हित में लगा हुआ है। पूरी दुनिया पथ से भटकती जा रही है , मंदिर , मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च जैसे पवित्र स्थान पर जघन्य अपराध हो रहे हैं, लोगों को ऊपर वाले का भय भी नहीं लग रहा है। लोगों का विश्वास समाप्त हो रहा, संतोष भी नहीं है और ही किसी को संतुष्टि मिल पा रही है, लोगों के दिल ही नहीं मिल रहे है।  चूंकि कलयुग का अभी प्रथम चरण ही चल रहा , और जब प्रथम चरण में इतनी भयावह स्थिति है तो अभी तो कलयुग का तीन चरण बाकी  है।परन्तु जिस भी प्राणी को संतोष, विश्वास (प्रभु ही नहीं मनुष्य पर भी)  और आस्था वह व्यक्ति घर, परिवार में आज भी कुशल जीवन व्यतीत कर रहा है।   इस ब्लॉग में कलयुग में मनुष्य को क्या करना और क्या नहीं करना चाहिए , जाने और पालन कर  अपना अपने परिवार का  इस जन्म में ही नहीं अगले जन्म को  भी  सार्थक बनायें और कलयुग में जियें एक ऐसा सुखमय जीवन और बनाए अगले जीवन का अपना भविष्य।



कलयुग आगमन :-



द्वापर युग का प्लवन हुआ और कलयुग का आगमन भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी , रविवार रात्रि , कृतिका नक्षत्र योग में कलियुग का आरम्भ हुआ, इस युग  में  वर्ण व्यवस्था नहीं रहेगी और भूमि वीज हीन हो जाएगी   कलयुग का स्वरुप पिशाच वदन , क्रूर , कलह प्रिय और  कलयुग वाम अंग से लिंग और दाएं से जिह्वा पकड़कर नृत्य करता है और कलयुग के अंत में गंगा पृथ्वी से लुप्त हो जाएँगी और विष्णु भगवन भी पृथ्वी छोड़कर चले जायेंगे   और जब तक गुरु, आकाश, देवता और  तुलसी की पूजा इस पृथ्वी पर होगी गंगा अविरल बहेंगी ,परन्तु आने वाले समय में सब धीरे धीरे लुप्त  हो जायेगा चूंकि लोग धर्म से विरत हो जायेंगे , सत्य पृथ्वी से चला जायेगा पृथ्वी पर अल्प फल आदि उत्पन्न होंगे मनुष्य कपटी और मूर्ख हो जायेगा , राजा प्रजा की रक्षक नहीं बल्कि धन का लोलुप हो जायेगा , पुत्र पिता से,  भाई भाई में  बैर हो जायेगा एक दूसरे के खून के प्यासे होंगे ,नातों रिश्तों में मतभेद हो जायेगा और दुर्जन सज्जनो को कष्ट देंगे सभी व्यक्ति को धन के अलावां कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा और धन पाने के लिए व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो जायेगा।  कलियुग में राम चरित मानस में तुलसी दास जी ने कलयुग वृतांत में लिखा  है :-











कलि मल ग्रसे धर्म सब, लुप्त भये सदग्रन्थ
दंभिन्ह निज मति कल्पि  करि, प्रगट किये बहु पंथ ।।


भए लोग सब मोहबस , लोभ ग्रसे सुभ कर्म
सुनु हरिजान ग्यान निधि , कहउँ कछुक कलिधर्म ।।


अर्थात कलयुग में इतना पाप होगा की धर्म दब जायेगा और सदग्रन्थ भी लुप्त हो जायेंगे , सब लोग लोभ मोह माया जाल में फंसे रहेंगे और नर नारी वेद का विरोध करेंगे ब्राह्मण वेद को बेच कर अपना पेट भरेंगे , राजा प्रजा को तकलीफ देंगे   लोग  झूंठ पाखंड और डींग मरने वाले होंगे कलियुग में सारे अच्छे कर्म समाप्त हो जायेंगे और सभी बुरे कर्म में लिप्त हो जायेंगे चाहे वह स्त्री हो या पुरुष कहने का मतलब पूरी तरह से शूद्र राज्य स्थापित हो जायेगा ब्राह्मण , क्षत्रिय , और वैश्य  शूद्र की पूजा करेंगे शूद्र जनेऊ धारण करके उपदेश देंगे


इस तरह कलयुग का आगमन हुआ कलयुग की आयु चार लाख बत्तीस हज़ार सौर वर्ष (432000) है जिसमे अभी तक ५११८ वर्ष व्यतीत  हो गए  हैं  और शेष अभी बाकी है। अभी तो कलियुग का एक भाग भी नहीं व्यतीत हुआ है आने वाले समय में कलियुग जब अपनी चरम सीमा पर होगा तो मनुष्य की आयु भी कम  हो जाएगी और लोग बौने ही रह जायेंगे

 
इसलिए कलियुग में पूजा का विधान बहुत ही आसान बताया गया है , अगले ब्लॉग में कलियुग में  भगवान की होने वाली आसान पूजा के बारें में वृस्तृत जानकारी  का लाभ उठाये और जियें कलयुग में एक शांति पूर्ण जीवन और बनाये अपना और अपने परिवार का भविष्य उज्जवल



टी पी० त्रिपाठी
मोबाइल नंबर  = 9721391805   

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