Sunday, June 17, 2018

यात्रा से पूर्व जानने योग्य यात्रा मुहूर्त


यात्रा से पूर्व जानने योग्य यात्रा मुहूर्त

यात्रा पर जाने से पहले जाने यात्रा मुहूर्त और पालन कर उठाये यात्रा का आनंद :=

यात्रा पर जाने से पहले मनुष्य को दिशा , नक्षत्र , भद्रा , योगिनी , शुभ तिथि  इत्यादि का जरूर विचार कर लेना चाहिए जिससे मनुष्य के काम में बाधा पड़े। ऐसा करने से मनुष्य को शांति तो मिलती ही मिलती है कार्य भी सिद्ध हो जाता है


पूरब , पश्चिम, उत्तर और दक्षिण इन चारों  दिशाओं को तो सभी लोग जानते हैं. परन्तु अन्य और चार दिशाएं  ईशान , अग्नि, वायव्य और नैऋत्य दिशा की   यात्रा करते समय जरूर ध्यान देना चाहिए अतः जिस भी मनुष्य को यात्रा करनी हो उसे निकलते समय निम्न बातों को ध्यान में  रखने से गारंटी के साथ यात्रा शुभ फलदायक  एवं कार्य सिद्ध होता है :-

यात्रा पर जाते समय अपने नाक के सुर को,  मतलब नाक में दो सुर होते हैं दायां और बांया जो भी चल रहा हो यानि यदि दायां सुर चल रहा है तो दाहिना पैर सबसे पहले निकलना चाहिए और बायां चल रहा हो तो बायां पैर पहले निकाल कर यात्रा पर जाना चाहिए , कार्य पूर्ण रूप से सिद्ध होगा
 
यात्रा पर जाते समय अपने इष्ट देव का सुमिरण करके और हो सके तो दही का सेवन करके यात्रा पर जाना चाहिए कार्य अवश्य  सिद्ध होगा
यात्रा पर जाते समय पीपल के वृक्ष को  प्रणाम कर यात्रा पर  जाना चाहिए,  कार्य सिद्ध होगा

भद्रा दोष रहित तिथि  2 , 3, 5, 7, 10, 11  और 13 तथा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि को यात्रा करने से यात्रा शुभ और मंगलमय होती है

अश्वनी, मृगशिरा , पुष्य , हस्त, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा और रेवती नक्षत्र में यात्रा करने से शुभ फलदायक यात्रा होती है

और यदि यात्रा जरूरी हो तो   रोहिणी , ज्येष्ठा , शतभिषा, तीनो उत्तरा और तीनो पूर्वा में भी यात्रा की जा सकती है

सोमवार और शनिवार को पूरब दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए

मंगलवार और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए

रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करना चाहिए

गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा  करना पूर्ण रूप से वर्जित है

ग्रह,  नक्षत्र,  योगिनी,  भद्रा   चन्द्रमा  और  दिशा  सभी अनुकूल हों तो,  यात्रा करने से सभी कार्य सिद्ध एवं सफल  हो जाते हैं


यदि मेष , सिंह  और धनु राशि का चन्द्रमा पूर्व में,  वृष , कन्या और मकर राशि का दक्षिण में,  मिथुन , तुला और कुम्भ का पश्चिम में  और कर्क , वृश्चिक और मीन का चन्द्रमा उत्तर में होता है तो  यात्रा में सम्मुख और दाहिने चन्द्रमा शुभाशुभ फलदायी होता है और यात्रा लाभप्रद होती है सारे कार्य सफल एवं संपन्न हो जाते हैं चन्द्रमा पीछे हो या  बायीं ओर होने से बहुत ही अशुभ होता है ऐसी अवस्था में यात्रा बिलकुल नहीं करनी चाहिए

हाँ यदि बहुत ही जरूरी हो तो यात्रा करने वाले को शास्त्रों  में एक विधि बताई गयी है उस  विधि का पालन करने पर कुछ हद तक निदान मिल जाता है वह है प्रस्थान विधि 

यदि कार्य अति आवश्यक हो तो यात्रा करते समय मनुष्य को यात्रा पर जाने से एक दिन पहले ब्र्हामण को जनेऊ या माला  ,  क्षत्रिय का अपना शस्त्र , वैश्य को शहद घी और शूद्र  फल को अपने वस्त्र में बांधकर , जिस दिशा में जाना हो उसी दिशा के किसी व्यक्ति के घर पर रख देना चाहिए और जाते समय उसको लेकर प्रस्थान करना चाहिए    यदि उपर्युक्त  चीजें संभव हो तो  अपनी प्यारी कोई चीज  रख  देना  चाहिए और जाते समय ले लेना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य को यात्रा में कुछ हद तक निदान मिलता है और यात्रा में होने वाली सारी वाधाएँ समाप्त हो जाती हैं

निम्न लिखित यात्रा पर जाने  के लिए वर्जित है , कृपया  सोच विचार कर यात्रा करनी चाहिए

उषाकाल में पूरब की ओर , गोधूलि  में पश्चिम की ओर , अर्ध रात्रि में उत्तर की ओर और और मध्यान्ह काल में दक्षिण की ओर यात्रा करना  वर्जित है
  
यात्रा पर जाते समय यदि सम्मुख और दाहिने छींक हो तो यात्रा स्थगित कर देनी चाहिए

घर से निकलते समय विधवा स्त्री के दर्शन नहीं होने चाहिए अत्यंत अशुभ होता है , परन्तु बहुत ऐसी पवित्र विधवाएं हैं जिनके दर्शन से ही कार्य सिद्ध हो जाता है


उपरोक्त का ध्यान रखें , अपने आराध्य इष्ट को हृदयँ में वसायें और यात्रा करें सब नारायण की कृपा से शुभ , लाभप्रद और निष्कंटक यात्रा करें , भगवत की कृपा से सब शुभ दायक  होगा





 टी पी 0 त्रिपाठी
मोबाइल  0 = 9721391805  

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